इमाम हज़रत अली (अ) खुत्बा अल बयान में अपनी फ़ज़ीलत इस तरह बयान करते हैं
* मैं वह हूँ जिसके बारे में रसूल (स) ने फ़रमाया मैं इल्म का शहर हूँ और अली (अ) उसका दरवाज़ा हैं।
* मैं हर चीज़ की हक़ीक़त से खबरदार और आगाह हूँ।
* मैं वह हूँ कि ख़िलक़त के आदाद व गिनती को शुमार करता और मालूम करता हूँ अगर चे वह बहुत हैं यहाँ तक कि अल्लाह तआला की तरफ उनको पहुंचाऊं।
* मैं हूँ अली इब्ने अभी तालिब जिसकी आवाज़ जंगों में बिजली की आवाज़ों की तरह है।
* मैं ज़मीन में खुदा का वली हूँ और अम्र खुदा मेरे सुपुर्द किया गया है
* मैं वह नूर हूँ कि जिस से मूसा (अ) ने रौशनी तलब की तो हिदायत पाई
* मैं वह हूँ की मैंने सातों आसमानों को बुलाया। उन्होंने मेरे हुक्म को क़ुबूल किया। मैंने उनको हुक्म दिया और वह क़ायम हो गये।
* मैं वह हूँ कि जिसके लिये आफ़ताब को दो बार पलटाया गया।
* मैं हूँ चीज़ों का ज़ाहिर करने वाला और मौजूदात का पैदा करने वाला जिस तरह चाहूँ।
* मैं हूँ वह की पहली उम्मतों में से हज़ार उम्मत ने मेरी विलायत का इंकार किया पस अल्लाह तआला ने उनको मस्ख कर दिया।
* मैं वह हूँ कि सब्ज़ी मलकूत में खड़ा हूँ जहाँ रूहें हरकत करती हैं। वहां मेरे सिवा कोई हरकत करने वाला नहीं।
* मैं हूँ वह जो जो दुनिया की हर लुग़त व ज़बान में कलाम करता है।
No comments:
Post a Comment