Wednesday, February 3, 2010

अल्लाह का वजूद - साइंस की दलीलें (पार्ट-28)


वास्तव में उसका ज्ञान इतना सम्पूर्ण है कि सृष्टि रचने से पहले वह सृष्टि रचने के बारे में सब कुछ जानता था और सृष्टि में आगे क्या होने वाला है, कौन सी घटनाएं घटेंगी, कौन से प्राणी पैदा होंगे इन सब के बारे में उसे पूर्ण ज्ञान था। किस तरंह उसे भविष्य के बारे में पहले से मालूम हो जाता है, इसकी व्याख्या इससे पहले की जा चुकी है।

ये थी अल्लाह के कुछ ऐसे गुणों की व्याख्या जो सरसरी तौर पर विचार करने पर तर्कसंगत नहीं प्रतीत होते हैं। इनका चिंतन लोगों को भ्रम का शिकार बना देता है और वे अनेक प्रश्नों में उलझ कर गलत दिशा में कदम बढ़ा देते हैं। यही वजह है कि अल्लाह, ईश्वर या गॉड के बारे में अनेक भ्रांतियां फैल गयी हैं। कुछ ये मानने लगे हैं कि ईश्वर सशरीर है। उसके हाथ, पैर, मुंह, आँख सब कुछ है। कहीं ये मान्यता फैल गयी कि सृष्टि की रचना ईश्वर के एक सूक्ष्म अंश से हुई तो कहीं देवताओं और पैगम्बरों को ईश्वर या अल्लाह के नूर से उत्पन्न बताया जाने लगा। जबकि हकीकत यह है कि अल्लाह ने अपना कोई हिस्सा अलग नहीं किया। बल्कि उसने इन सब की रचना की है।

खुदा का वजूद जरूरी क्यों?
इस तरंह खुदा के गुणों के बारे में स्पष्टीकरण दिया जा सकता है। लेकिन इसके बावजूद भी एक महत्वपूर्ण प्रश्न मस्तिष्क को उद्वेलित कर सकता है। वह यह कि खुदा का वजूद वास्तव में है भी या नहीं? हो सकता है किसी अत्यन्त मेधावी दिमाग ने या कई दिमागों ने एक ऐसी महाशक्ति की कल्पना कर ली हो जिसकी विशेषताएं उपरोक्तानुसार हैं। 

इस कल्पना के पीछे कई कारण हो सकते हैं। मसलन ये कि कुछ इंसान जो बाकियों से अपने को सम्मान दिलाना चाहते थे, लोगों में एक अदद ईश्वर के बारे में कहानियां फैलाने लगे और अपने को ईश्वर का भेजा दूत कहलाने लगे ताकि लोग उनका सम्मान करने लगें और ईश्वर के साथ साथ उनसे भी डर कर उनकी आज्ञा मानें। लेकिन अगर ऐसी बात होती तो यह मान्यता कुछ स्थानों या ज्यादा से ज्यादा कुछ देशों में पहुंचकर समाप्त हो जाती। और अगर हर जगह होती तो भी ईश्वर की कल्पना हर जगह पर अलग अलग तरीके से की जाती। कहीं उसका कुछ और रूप बताया जाता तो कहीं किसी और रूप में उसके अस्तित्व के बारे में कहा जाता। लेकिन हम देखते हैं कि कुछ भ्रमों को अगर छोड़ दिया जाये तो अल्लाह के गुण हर जगंह समान मिलते हैं।.........continued

No comments: