Tuesday, January 26, 2010

अल्लाह का वजूद - साइंस की दलीलें (पार्ट-23)

कुछ लोग यह एतराज़ कर सकते हैं कि दुनिया में बहुत जालिम लोग भी हुए हैं। चंगेज खान जैसे शासकों ने पूरा कत्लेआम मचा दिया था। आधुनिक युग में भी अमेरिका ने एटम बम की मदद से हिरोशिमा और नागासाकी जैसे शहर पूरी तरंह नष्ट कर दिये लेकिन इसके लिए प्रकृति ने उन्हें कोई सजा नहीं दी। और कभी कभी मामूली बातों पर भी सजा मिल जाती है। 


इस एतराज का जवाब वही उत्तर हो सकता है जो इससे पहले एक अन्य प्रश्न का जवाब बन चुका है। कि अल्लाह महाशक्ति है और असलियत में उसने बन्दों को सज़ा या जज़ा देने का इरादा कयामत तक के लिए मुल्तवी कर रखा है। इस दुनिया में वह सिर्फ कुछ नमूने दिखाता है और यह नमूने अलग अलग बन्दों के लिए अलग अलग होते हैं। अगर वह सभी बन्दों को एक ही प्रकार की सज़ा या जज़ा देगा तो यह एक अत्यन्त सरल प्रक्रिया हो जायेगी और लोग यह मानने लगेंगे कि यह एक निश्चित प्रक्रिया है ठीक किसी मशीनी सिस्टम की तरंह जो कि वे लोग खुद भी बना सकते हैं। 


साथ ही वे भले और बुरे काम एक दायरे में रहकर करेंगे। यहां से वे यह सोचना शुरू कर देंगे कि अल्लाह भी उन्हीं जैसी अक्ल रखने वाला कोई प्राणी है जो कहीं अन्य स्थान पर निवास कर रहा है। लेकिन हर प्राणी को बिल्कुल अलग और अद्वितीय तरीके से कण्ट्रोल करना, उसे सज़ा या जज़ा देना ऐसी प्रक्रिया है जो अक्लों को हैरान कर देती है। और उस वक्त अल्लाह की असीमित शक्तियों का पता चलता है। ऐसी शक्तियां जो न तो मनुष्य पा सकता है और न ही उनकी तह तक जा सकता है। 


लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह बंदों पर अपनी शक्तियों का रोब जमाना चाहता है। वह केवल इतना चाहता है कि बंदे उसके बनाये नियमों का फायदा उठायें। कोई ऐसा काम न करें जिससे प्रकृति के नियम उन्हें हानि पहुंचा दें। उसने एटामिक शक्ति का नियम बनाया। यह एटामिक शक्ति एटम बम के रूप में विनाशकारी भी हो सकती है और न्यूक्लियर रिएक्टर के रूप में कल्याणकारी भी। अब अगर कोई इसका प्रयोग एटम बम के रूप में करता है तो इसमें अल्लाह और उसके बनाये नियमों का कोई कुसूर नहीं होगा। यह तो बंदे की गलती होगी। 



प्रश्न ये भी उठता है कि उसने ये नियम क्यों बनाये? सृष्टि की रचना के पीछे उसका उद्देश्य क्या रहा? तो इसके जवाब में अल्लाह कहता है कि मैं एक छुपा हुआ खज़ाना था। मैंने चाहा कि मैं पहचाना जाऊं इसलिए इस कायनात की खिलक़त की। सरल भाषा में इसे यूं समझा जा सकता है कि अगर हमारे पास किसी कार्य को करने की क्षमता है और हम उस कार्य को नहीं करते तो यह विश्व के साथ और स्वयं अपने साथ जुल्म होता है।



अगर हम किसी कार्य को करने के लिए अपने को जिम्मेदार समझ रहे हैं और वह कार्य हमने नहीं किया तो यह हमारा अन्याय होगा। अक्सर हम सरकार को कोसते रहते हैं। क्योंकि वह पानी बिजली और सड़क जैसी समस्याओं से हमें दो चार किये रहती है। यहां चूंकि सरकार के पास इन व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के साधन हैं लेकिन वह उनका उपयोग नहीं करती तो सरकार को अक्षम और अन्यायी कह दिया जाता है। अगर किसी शिक्षक के पास ज्ञान है लेकिन वह विद्यार्थियों में नहीं बाँटता तो उसे गलत करार दिया जाता है। अर्थात अगर हमने अपनी योग्यताओं का उपयोग नहीं किया तो यह भी एक अपराध होता है।


अब आप अल्लाह के बारे में ख्याल कीजिए। उसके पास हर तरंह की शक्ति है। अगर वह अपनी शक्ति का उपयोग नहीं करेगा, छुपा  हुआ खजाना बना रहेगा तो वह स्वयं अपने साथ नाइंसाफी करेगा। जबकि खुदा नाइंसाफ, जालिम या अज्ञानी नहीं है। इस तरंह सृष्टि का निर्माण करके उसने अपनी योग्यताओं और शक्तियों का इंसाफ किया है। इसीलिए उसने मनुष्य की रचना की और उसे सोचने समझने की शक्ति दी। जिससे वह भला बुरा पहचान कर नियमों को अपनी भलाई में लगाये और अल्लाह के बारे में विचार करे। भ्रमों को छोड़कर सिर्फ उसकी इबादत करे, आराधना करे।

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