शक्ति अर्थात ऊर्जा का एक रूप ऊष्मा है। तेज गर्मी में ताप की आँच खुले मैदानों से लेकर बन्द घरों में पहुंच जाती है। अगर बहुत ही गर्म मौसम है तो ए0सी0 जैसे उपकरण भी उस गर्मी में असमर्थ हो जाते हैं। अर्थात ऊर्जा के लिए सीमाओं का बंधन गौण होता है। गामा किरणे जो कि ऊर्जा का अन्य रूप हैं लोहे की मोटी चादरों को भी आसानी से भेद देती हैं। एक्स किरणें तो मानव शरीर को भेद कर शरीर का पूरा आंतरिक फोटोग्राफ खींच देती हैं।
जब साधारण शक्तियों का यह हाल है तो महाशक्ति जो इन शक्तियों की खालिक है, के लिए मनुष्य के विचारों तक पहुंचने के लिए भौतिक अवस्था का बंधन मानना अवैज्ञानिक है।
एक और उदाहरण जिससे यह और स्पष्ट हो जायेगा कि किस प्रकार अल्लाह छुपी हुई बातों को जानता है और मन के छुपे हुए भेदों को जान जाता है। मनुष्य ने कम्प्यूटर का आविष्कार किया। प्रत्येक कम्प्यूटर की एक मेमोरी होती है जिसमें भविष्य में किये जाने वाले सभी कार्यों का ब्योरा भी फीड रहता है। यह ब्योरा कम्प्यूटर का निर्माण करने वाला व्यक्ति या कोई अन्य एक्सपर्ट उसमें फीड करता है और इसलिए उसे पूरा ज्ञान रहता है कि कम्प्यूटर भविष्य में क्या करेगा। स्पष्ट है कि जब एक तुच्छ मनुष्य अपने बनाये उपकरण के बारे में सब कुछ जानता है कि उसकी मेमोरी में क्या है तो सम्पूर्ण सृष्टि के रचयिता के बारे में यह सवाल उठाना कि कैसे मन के भेद जानता है, कुछ जँचता नहीं।
अल्लाह क्रोध, भय, घृणा वगैरा से परे है। कोई भावना उसे उद्वेलित नहीं करती। फिर क्यों वह किसी बन्दे को नर्क की आग में फेंक देता है और किसी को स्वर्ग का सुख प्रदान कर देता है? इतिहास में और प्राचीन ग्रन्थों में ऐसी कहानियां भरी पड़ी हैं जब वह किसी मनुष्य से खुश हुआ और उसे बहुत कुछ प्रदान कर दिया। इसी तरह जब वह गज़बनाक हुआ तो पूरी की पूरी कौम खत्म हो गयी। हज़रत मूसा और उसके मानने वालों पर जब मिस्र के शासक फिरऔन के अत्याचार बहुत ज्यादा बढ़ गये तो एक वक्त आया जब फिरऔन को नील नदी में डुबो दिया गया। प्राचीन ऋषि मुनियों की बहुत सी कहानियां मिलती हैं जिनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ईश्वर ने उन्हें अद्भुत शक्तियों का स्वामी बना दिया। जब वह सभी भावनाओं से परे है तो ऐसा क्यों करता है वह?
इस प्रश्न का जवाब बहुत सरल है। खुदा ने कायनात बनायी। लेकिन इससे भी पहले उसने कुदरत ईजाद की। कुदरत यानि प्रकृति क्या है? यह उन नियमों और सिद्धान्तों का कलेक्शन है जो इस सृष्टि को कण्ट्रोल कर रहे हैं। पृथ्वी और दूसरे ग्रह सूर्य के गिर्द चक्कर लगा रहे हैं। यहां गुरुत्वाकर्षण का नियम प्रभावी होता है। परमाणु में नाभिक के गिर्द इलेक्ट्रान विद्युत बल के प्रभाव में चक्कर लगाते हैं। किसी बच्चे के गुण मां बाप के डी-एन-ए- से प्रभावित होते हैं। अग्नि का जला देने का गुण और पानी का ठण्डक पहुंचाने का गुण भी प्रकृति का नियम हैं। इस तरंह अनेकों छोटे बड़े नियम इस सृष्टि को कण्ट्रोल कर रहे हैं। अगर कोई मनुष्य अपनी त्वचा पर ब्लेड चला दे तो उसकी त्वचा कट जायेगी। क्योंकि यही प्रकृति का नियम है।
कहने का तात्पर्य ये है कि अगर कोई मनुष्य या कोई जाति इस पृथ्वी पर एक सीमा से अधिक जालिम बन जाये। पूरी दुनिया उसके अत्याचार से तंग आ जाये तो उस जाति का नष्ट हो जाना भी प्रकृति के नियमों के अन्तर्गत आता है। इसमें अल्लाह के क्रोध का कोई दखल नहीं रहता। अगर हम अपनी खाल पर चाकू फेरकर खाल काट लें और फिर यह कहें कि अल्लाह ने हमसे नाराज होकर हमारी खाल काट दी तो यह एक हास्यास्पद कथन होगा। क्योंकि खाल तो प्रकृति के नियमों के अनुसार कटी।
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