अब एक दूसरा सवाल पैदा होता है कि खुदा ने मनुष्य को दूसरे जानवरों से बुद्धिमान क्यों बनाया। जानवरों में भी कुछ ज्यादा बुद्धिमान होते हैं और कुछ कम। सरसरी तौर पर देखने पर अल्लाह का यह भेदभाव पूर्ण नजरिया समझ में नहीं आता। लेकिन अगर हम अपनी अक्ल की सीमा बढ़ाकर और अपने नियमों से दूर हटकर विचार करें तो यहां भी खुदा की न्यायप्रियता देखने को मिलती है। अल्लाह व्यक्तिगत प्राणियों को उनकी क्षमता और ग्रहण करने की शक्ति के आधार पर नेमतों का वितरण करता है। और साथ ही साथ जातियों और वंशों पर भी उसका यही नियम लागू होता है।
मानव जाति की क्षमता अधिक होने के कारण उसे बुद्धिमता ज्यादा प्रदान की गयी है जबकि मछली जैसे प्राणी को बहुत कम। लेकिन साथ ही साथ ज्यादा पावर और बुद्धिमता वाले प्राणी पर प्रतिबन्ध भी बहुत ज्यादा लगा दिये गये हैं ताकि वह उनका दुरूपयोग न कर सके और दूसरे प्राणियों के साथ उसका शक्ति संतुलन रह जाये। यही ईश्वर की न्यायप्रियता है।
मनुष्य को दूसरे प्राणियों जैसे हाथी और कछुए की तुलना में औसत उम्र बहुत कम मिली है। मक्खी और मच्छर जैसे कीटों की तुलना में उसे कम जन्म दर दी गयी है। और साथ ही उसे नर्क जैसा भय दिखाया गया है। फिर भी इंसान को अशरफुल मखलूकात (सभी प्राणियों में सर्वश्रेष्ठ) कहा गया है। क्योंकि वह अल्लाह को पहचान कर उसकी इबादत कर सकता है।
अब यहां एक सवाल बाकी रह जाता है कि अल्लाह ने सभी प्राणियों और सभी चीजों को एक जैसा क्यों नहीं बनाया? इस पृथ्वी पर कहीं इतनी बारिश होती है कि बाढ़ आने की नौबत रहती है तो कहीं साल भर सूखा रहता है और रेगिस्तान के सिर्फ धूल भरे टीले नज़र आते हैं। कहीं दूर दूर तक समुन्द्र दिखाई देता है तो कहीं ऊंचे पहाड़। यानि पृथ्वी पर कहीं भी एक दूसरे स्थानों के बीच कोई सम्बन्ध नहीं। कोई तारतम्य नहीं दिखाई पड़ता।
तो इसका जवाब ये हो सकता है कि जटिलता विभिन्नता में होती है। अगर किसी फैक्ट्री में एक ही तरह की मशीनें लगी हों तो उन्हें कण्ट्रोल करना आसान होता है। उनका मैकेनिज्म समझकर उनका निर्माण कर लेना बहुत मुश्किल नहीं होता और एक आम दिमाग उन्हें आसानी से कर लेता है। लेकिन अगर हर मशीन एक अलग वेरायटी की हो तो यकीनन उनका कण्ट्रोल मुश्किल हो जाता है। बड़े से बड़ा दिमाग जो इस पृथ्वी पर मौजूद है यह दावा नहीं कर सकता कि वह पृथ्वी पर मौजूद हर मशीन की रिपेयरिंग कर सकता है। या उन्हें बना सकता है। हां इतना जरूर है कि जितना तीक्ष्ण मस्तिष्क होगा उतना ही अधिक उसका ज्ञान होगा और उतनी ही विभिन्न प्रकार की मशीनों को वह समझ सकेगा।
अब आप उस महाशक्ति की कल्पना कीजिए, अगर वह सभी स्थान, सभी वस्तुएं और सभी प्रकार के प्राणी एक जैसा बना देता तो उसकी शक्ति पर उंगली उठ सकती थी। यह आश्चर्य नहीं तो और क्या है कि हर प्राणी की उसके वक्त पर जरूरत पूरी हो जाती है। जबकि प्रत्येक प्राणी अपनी अलग खुराक रखता है, अलग प्रकार का भोजन होता है। शेर को मांस चाहिए तो हिरन को घास। छिपकलियों को कीट चाहिए तो तितलियों का भोजन फूलों का रस है। इन सब के बावजूद हर प्राणी अपने लोक में विचरण करता हुआ अपने पेट की आग बुझा लेता है। इन उदाहरणों से ईश्वर की शक्ति और ज्ञान का पूरा सुबूत मिल जाता है।
2 comments:
kya islam main punarjanm ko mana jata hai
हरिओम त्यागी जी, इस्लाम में पुनर्जन्म इस रुप में है की सभी मुर्दे Day of Judgement के समय जिंदा किये जायेंगे और फिर उनके कर्मों के आधार पर स्वर्ग या नरक भेजा जाएगा.
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