Tuesday, July 8, 2014

आइसिस का मज़हब - इस्लाम नहीं शैतान का मज़हब है

ईराक व सीरिया में लड़ने वाले आतंकवादी संगठन आईसिस के बारे में अक्सर मुसलमान गलतफहमी का शिकार हैं कि ये इस्लामी जिहाद कर रहा है या फिर कुछ और। लेकिन अगर हम इस्लाम की बुनियादी बातों पर गौर कर लें तो यह साफ ज़ाहिर हो जाता है कि आइसिस का इस्लाम से कोई लेना देना नहीं। और वह कुरआन व हदीस पर कहीं से नहीं अमल कर रहा है। बल्कि कुछ मायनों में शैतान की ही पैरवी कर रहा है। 

1. इस्लाम का बुनियादी कलमा है कि ला इलाहा इल्लल्लाह-मोहम्मदर्ररसूल अल्लाह। यानि कोई माबूद नहीं सिवाय अल्लाह के, और मोहम्मद(स.) अल्लाह के रसूल हैं। दूसरी तरह आइसिस का कलमा सिर्फ ‘ला इलाहा इल्लल्लाह’ है, जो कि शैतान का कलमा है। क्योंकि जब हज़रत आदम(अ.) को अल्लाह ने सज्दे का हुक्म दिया तो शैतान ने कहा कि वह सिर्फ ‘ला इलाहा इल्लल्लाह’ मानेगा और किसी को नहीं। 

2. शैतान ने ज़मीन पर अल्लाह के बनाये नबी व खलीफा को मानने से इंकार किया क्योंकि वह खुद खलीफा बनना चाहता था। आइसिस भी यही कर रहा है। उसने मोहम्मदर्ररसूल अल्लाह कहना छोड़ दिया है और अपना स्वघोषित खलीफा अबूबकर बग़दादी को बना लिया है।

3. हज व उसमें काबे का तवाफ इस्लाम की बुनियादी बातों में शामिल है। जबकि आइसिस ने काबे को ढहाने की धमकी दी है।

4. मस्जिदों की बेहुरमती इस्लाम की नज़र में बहुत बड़ा गुनाह है। उधर आइसिस अपने कब्ज़े वाले इलाके में मस्जिदों पर बुलडोज़र चला रहा है।

5. इस्लाम व कुरआन की नज़र में ‘अगर किसी ने एक बेगुनाह को क़त्ल किया तो उसने पूरी इंसानियत को क़त्ल किया। उधर आइसिस अपने कब्जे वाले इलाकों में औरतों व बच्चों को क़त्ल कर रहा है। तमाम वीडियो इसके गवाह हैं।

लिहाज़ा अब मुसलमान खुद ही फैसला कर लें कि आइसिस क्या है। वरना कहीं ऐसा न हो कि कुछ मुसलमान आइसिस की पैरवी में अनजाने में इस्लाम ही के दायरे से बाहर हो जायें।

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