सेल या कोशिका को जिंदगी की यूनिट कहते हैं। इंसान हो या जानवर, पेड़ हो या छोटा सा पौधा, हर एक का जिस्म निहायत छोटी छोटी संरचनाओं से मिलकर बना होता है जिन्हें सेल कहते हैं। ये सेल्स निहायत महीन होते हैं। इतने कि नंगी आँखों से इन्हें देखना नामुमकिन है। इंसानी जिस्म में तीन सौ ट्रिलियन बायोसेल पाये जाते हैं।
सत्रहवीं सदी में जब माइक्रोस्कोप का आविष्कार हुआ और उससे इंग्लिश साइंसदां राबर्ट हुक ने जीवों को बड़ा करके देखा तो पहली बार उसने जिंदगी की यूनिट यानि सेल का दीदार किया। इस तरह बायोसेल की खोज के सेहरा राबर्ट हुक के सर है।
सवाल पैदा होता है कि क्या राबर्ट हुक से पहले वास्तव में कोई बायोसेल के बारे में नहीं जानता था? इस सवाल का जवाब पाने के लिए पढ़ें मेरी ये पोस्ट.
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