आवाज़ के बारे में प्राचीनकाल से ही वैज्ञानिकों ने काफी रिसर्च की है। आवाज पानी की लहर की तरह होती है, ये बात ग्रीक फिलास्फर क्रिसिप्पस (240BC) को मालूम थी। अरस्तू (384-322BC) ने बताया कि आवाज़ हवा में पानी की लहरों की तरह आगे बढ़ती है और जब कानों से टकराती है तो आवाज़ सुनाई देती है। इतिहास के अनुसार सन 1654 में जर्मन साइंटिस्ट ओटो वान ने यह खोज की कि आवाज़ निर्वात में नहीं चल सकती। यानि उसको फिज़ा में आगे बढ़ने के लिये हवा ज़रूरी है। लेकिन क्या वाकई यह खोज पहली बार ओटो वान ने के थे? इस सवाल का जवाब पाने लिए पढ़ें यह पोस्ट.
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