Sunday, January 31, 2010

अल्लाह का वजूद - साइंस की दलीलें (पार्ट-26)


अल्लाह वह हस्ती है जिसके पास ज्ञान का असीमित भंडार है। उपरोक्त उदाहरणों में हम देख सकते हैं कि गति ज्ञान के व्युत्क्रमानुपाती होती है। जब ज्ञान बढ़ता है तो गति घटती है। चूंकि अल्लाह का ज्ञान अनन्त है इसलिए उसकी गति शून्य हो जायेगी। कुछ लोग यह कह सकते हैं कि मनुष्य की गति उन मशीनों पर निर्भर हो गयी जिनका उसने आविष्कार किया। अल्लाह ने भी अपनी मशीनें निर्मित कीं जो प्रकृति और उसके सिद्धान्तों के नाम से जानी जाती हैं। 

गुरुत्वाकर्षण का नियम, सापेक्षिकता का नियम, द्रव्यमान ऊर्जा संरक्षण का नियम और इस तरंह के अनगिनत नियम हैं जो इस सृष्टि को कण्ट्रोल कर रहे हैं। यही अल्लाह की बनायी हुई मशीनें हैं। फिर तो सवाल उठ सकता है कि अल्लाह ने इन मशीनों को बनाने के लिए गति की होगी। लेकिन ऐसा भी नहीं है। गति उस केस में होती जब ये मशीनें पदार्थिक होतीं। तो फिर उनके पदार्थों को आपस में जोड़ने के लिए गति करनी पड़ती। 

लेकिन प्रकृति के नियम निराकार होते हैं, उनके निर्माण में कोई गति आवश्यक नहीं होती, ठीक उसी तरंह जिस तरंह निराकार कल्पना को करने के लिए मानव मस्तिष्क को कोई गति नहीं करनी पड़ती। हम केवल कल्पना करते हैं और रंग बिरंगी तस्वीरें हमारे मस्तिष्क में बनने लगती हैं। उसी प्रकार अल्लाह ने इरादा किया और नेचर के सारे नियम, सारे उसूल तैयार हो गये।

प्रकृति के यही उसूल और नियम पूरी सृष्टि को चला रहे हैं। सारी वैज्ञानिक खोजें इन नियमों तक बढ़कर ठहर जाती हैं और खुदा तक नहीं पहुंच पातीं। इसलिए कई वैज्ञानिक इस पर सहमत हो गये हैं कि सृष्टि का पूरा कण्ट्रोल इन्हीं नियमों के आधार पर है। अपने प्रयोगों को वे इन्हीं नियमों के परिप्रेक्ष्य में देखते हैं और जब कोई नया आविष्कार करते हैं तो उसे प्रकृति के सिद्धान्तों का उपयोग करके प्राप्त करते हैं। और प्रकृति में जब कोई घटना घटती है तो उसे इन सिद्धान्तों की मदद से समझाया जाता है। संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि हम जिन मशीनों द्वारा कण्ट्रोल किये जा रहे हैं उनमें से कुछ तक पहुंच चुके हैं, लेकिन उन मशीनों को बनाने वाले के प्रति बहुत अधिक भ्रम के शिकार हैं। 

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