Tuesday, January 12, 2010

अल्लाह का वजूद - साइंस की दलीलें (पार्ट-14)


उपरोक्त एतराज में भी मनुष्य की सीमित सोच का पता चलता है। क्योंकि हम आदी हो गये हैं अपनी बनायी कसौटी पर हर चीज को परखकर देखने के। हमने अपने आसपास देखा और पाया कि हर चीज का एक निगेटिव है। आग है तो साथ में पानी भी है। प्रेम के दर्शन होते हैं तो कहीं घृणा के। इलेक्ट्रिक करेंट के चालक मौजूद हैं तो सुचालक भी। अगर और गहराई में जायें तो इलेक्ट्रान का एण्टी कण पाजिट्रान मौजूद है। प्रोटान का एण्टी कण एण्टी प्रोटान भी पाया जाता है। ये दोनों जब एक दूसरे से टकराते हें तो नष्ट हो जाते हैं। यह कल्पना भी की गयी है कि जिस प्रकार पदार्थ इस यूनिवर्स में अस्तित्व रखता है उसी तरह उसका एण्टी मैटर (विपरीत पदार्थ) भी इसी यूनिवर्स में मौजूद है।

पदार्थ और विपरीत पदार्थ जब एक दूसरे से टकराते हैं तो नष्ट हो जाते हैं। और अपार ऊर्जा की उत्पत्ति होती है। इस प्रकार देखा जाये तो हर वस्तु और हर गुण अपना एक एण्टी जरूर रखता है। क्रोध का ख़ुशी है तो उत्साह का हताशा । स्पष्ट है कि फिर खुदा का भी एक एण्टी खुदा होना चाहिए। इस प्रकार अगर खुदा न्यायप्रिय है तो वह अन्याय प्रिय। अगर खुदा ज्ञानी है तो वह अज्ञानी होना चाहिए। अगर खुदा रहम करने वाला है तो वह अत्याचार करने वाला होना चाहिए।

लेकिन इस अवलोकन में हम ये भूल जाते हैं कि खुदा एक है और सृष्टि की रचना शून्य से हुई है। दूसरी बात ये कथन कि ‘अल्लाह गुणों का मजमुआ है’ गलत है। वास्तव में अल्लाह से पूरी तरह मिले हुए हैं गुण। जिस तरह चमकना तारों का गुण है लेकिन चमक को तारा नहीं कहा जा सकता। इसलिए गुणों के विपरीत अवगुण तो हो सकते हैं लेकिन खुदा के विपरीत एण्टी खुदा नहीं हो सकता।

सवाल उठता है कि फिर सृष्टि में क्यों हर वस्तु का एण्टी पाया जाता है? तो इसके लिए जैसा कि ऊपर कहा गया है कि सृष्टि की रचना शून्य से हुई है। अगर शून्य को विभाजित करें तो निगेटिव और पाजिटिव मिलते हैं। इसी तरह बराबर संख्या में निगेटिव और पाजिटिव मिलने से शून्य मिलता है। जैसे माइनस फोर और प्लस फोर का योग जीरो होता है। एक इलेक्ट्रान और पाजिट्रान के टकराने पर जीरो मैटर बन जाता है। इसी तरह जीरो मैटर यानि दो गामा फोटॉनों के मिलने पर इलेक्ट्रान और पाजिट्रान की पैदाइश होती  हैं।

ठीक इसी नियम पर सृष्टि का निर्माण हुआ। निर्माण का यह सिद्धान्त कुछ कुछ बिग बैंग से मिलता है। प्रारम्भ में केवल एक बिन्दु था विमाहीन। न तो द्रव्यमान था, न ऊर्जा और न समय। फिर एक विस्फोट हुआ यानि बिग बैंग। इस विस्फोट से पदार्थ ऊर्जा और समय की रचना हुई। यानि ये सब कुछ शून्य से उत्पन्न हुआ। स्पष्ट है कि इनमें से हर चीज अपना निगेटिव रखेगी तभी शून्य का उपरोक्त नियम लागू हो सकता है।

अल्लाह के लिए इस तरह का कोई नियम लागू नहीं होगा। क्योंकि वह शून्य से पैदा नहीं हुआ है। वह सदैव से एक रहा है और सदैव रहेगा। यहां इस बात की भी दलील मिल गयी कि वह सदैव से एक रहा है और सदैव रहेगा। क्योंकि वक्त के साथ वही बदलता है जो वक्त पर निर्भर होता है। वक्त बीतने के साथ प्राणी के साँसों की डोर नाजुक होती जाती है और एक वक्त आता है जब यह डोर टूट जाती है। चट्‌टानें वक्त के साथ टूटती रहती हैं और फिर पूरी तरह बिखर जाती हैं। लेकिन हम अगर उस महाशक्ति के बारे में विचार करें जिसने स्वयं वक्त की रचना की है, स्पष्ट है कि उसका अस्तित्व टाइम का मोहताज नहीं रह गया। और जब वह टाइम का मोहताज नहीं रह गया तो न तो उसके जन्म का कोई टाइम होगा और न उसके समाप्त होने का कोई टाइम। वह हमेशा से है और हमेशा मौजूद रहेगा।

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