Thursday, December 31, 2009

अल्लाह का वजूद - साइंस की दलीलें (पार्ट-6)


हालांकि ये बात सभी गतिशील वस्तुओं पर लागू होती है, लेकिन चूंकि इलेक्ट्रान की गति बहुत ज्यादा होती है और पोजीशन मापने की दूरियां बहुत ही छोटी यूनिट में होती हैं, इसलिए अनिश्चितता को अनदेखा नहीं किया जा सकता। तो फिर जब हम इलेक्ट्रान की गति और पोजीशन से सम्बंधित कोई कथन देते हैं तो वह वास्तविक नहीं होता। यानि हम कभी वास्तविक निष्कर्ष नहीं निकाल सकते हैं। और न ही किसी को बता सकते हैं। इस प्रकार साइंस में एक और कण्टराडिक्शन के दर्शन हुए।

रेडियोऐक्टिविटी कुछ पदार्थों का विशेष गुण है। इसके अनुसार वे पदार्थ कुछ किरणें छोड़ते हैं जिन्हें अल्फा बीटा और गामा किरणें कहते हैं। ये किरणें पदार्थ के नाभिकों से क्षीण नाभिकीय बलों के कारण पैदा होती हैं। प्रत्येक रेडियोऐक्टिव पदार्थ एक निश्चित समय पर अपनी प्रारम्भिक मात्रा का आधा रह जाता है। क्योंकि रेडियोऐक्टिव किरणें निकलने से उस पदार्थ के परमाणु दूसरे पदार्थों के परमाणुओं मे बदलते रहते हैं। उस निश्चित समय को उस पदार्थ की अर्द्ध आयु कहते हैं । यानि अगर किसी रेडियोऐक्टिव पदार्थ की अर्द्ध आयु दस मिनट है और प्रारम्भ में उसकी 100 ग्राम मात्रा ली जाये तो दस मिनट बाद उसकी मात्रा 50 ग्राम हो जायेगी। और पुन: दस मिनट बाद उसकी मात्रा 25 ग्राम होगी। इस प्रकार अगर देखा जाये तो वह रेडियोऐक्टिव पदर्थ कभी भी पूरी तरह नष्ट होकर दूसरे पदार्थ में नहीं बदलेगा। क्योंकि किसी भी अशून्य संख्या का आधा कभी जीरो नहीं होता।

लेकिन उपरोक्त रेडियोऐक्टिव पदार्थ परमाणुओं से मिलकर बना है जो संख्या में निश्चित रहेंगे। भले ही उनकी संख्या बहुत ज्यादा हो। एक रेडियोऐक्टिव कण अल्फा या बीटा निकलने का मतलब है कि वह पूरा परमाणु नष्ट होकर किसी दूसरे पदार्थ के परमाणु में बदल गया। इस प्रकार रेडियोऐक्टिव विघटन में पदार्थ के परमाणु एक के बाद एक नष्ट होते चले जायेंगे। और अन्त में पदार्थ का एक भी परमाणु नहीं बचेगा। अर्थात एक समय आयेगा जब वह पदार्थ पूरी तरह समाप्त हो जायेगा। और हमारा उपरोक्त अर्द्ध आयु का नियम गलत सिद्ध हो जायेगा। जो कि एक कण्टराडिक्शन है। 

कुछ लोग यह कह सकते हैं कि हो सकता है अन्त में बचने वाला परमाणु कभी नष्ट न हो। लेकिन हम इसे यदि मान भी लें तो भी अर्द्ध आयु का नियम गलत हो जायेगा। क्योंकि पुन: दस मिनट बीतने के पश्चात उस परमाणु को भी आधा होना चाहिए और परमाणु के आधा होने का कोई अर्थ नहीं। क्योंकि वह किसी तत्व का सूक्ष्मतम कण होता है। 

2 comments:

संगीता पुरी said...

आपको और आपके परिवार के लिए नववर्ष मंगलमय हो !!

DR. ANWER JAMAL said...

वैज्ञानिक नज़रिये से देखा जाये तो पवित्र कुरआन अल्लाह के वजूद की खुद एक बड़ी दलील है।
हज़रत मुहम्मद (स.) आज हमारी आँखों के सामने नहीं हैं लेकिन जिस ईश्वरीय ज्ञान पवित्र कुरआन के ज़रिये उन्होंने लोगों को दुख निराशा और पाप से मुक्ति दिलाई वह आज भी हमें विस्मित कर रहा हैै।
यह स्वयं दावा करता है कि यह ईश्वर की ओर से है। यह स्वयं अपने ईश्वरीय होने का सुबूत देता है और अपने प्रति सन्देह रखने वालों को अपनी सच्चाई की कसौटी और चुनौती एक साथ पेश करता है कि अगर तुम मुझे मनुष्यकृत मानते हो तो मुझ जैसा ग्रंथ बनाकर दिखाओ या कम से कम एक सूरः जैसी ही बनाकर दिखाओ और अगर न बना सको तो मान लो कि मैं तुम्हारे पालनहार की ओर से हूँ जिसका तुम दिन रात गुणगान करते हो। मैं तुम्हारे लिए वही मार्गदर्शन हूँ जिसकी तुम अपने प्रभु से कामना करते हो। मैं दुखों से मुक्ति का वह एकमात्र साधन हूँ जो तुम ढूँढ रहे हो।
पवित्र कुरआन में जल-थल का अनुपात
एक इनसान और भी ज़्यादा अचम्भित हो जाता है जब वह देखता है कि ‘बर’ (सूखी भूमि) और ‘बह्र’ (समुद्र) दोनांे शब्द क्रमशः 12 और 33 मर्तबा आये हैं और इन शब्दों का आपस में वही अनुपात है जो कि सूखी भूमि और समुद्र का आपसी अनुपात वास्तव में पाया जाता है।
सूखी भूमि का प्रतिशत- 12/45 x 100 = 26.67 %
समुद्र का प्रतिशत- 33/45 x 100 = 73.33 %
सूखी जमीन और समुद्र का आपसी अनुपात क्या है? यह बात आधुनिक खोजों के बाद मनुष्य आज जान पाया है लेकिन आज से 1400 साल पहले कोई भी आदमी यह नहीं जानता था तब यह अनुपात पवित्र कुरआन में कैसे मिलता है? और वह भी एक जटिल गणितीय संरचना के रूप में।

क्या वाकई कोई मनुष्य ऐसा ग्रंथ कभी रच सकता है?
क्या अब भी पवित्र कुरआन को ईश्वरकृत मानने में कोई दुविधा है?
see more
http://hamarianjuman.blogspot.com/
Please do not try to undermine the miracle of Qur'an by quoting from faulty and wrong data.
You may refer to the UNESCO project site http://catdir.loc.gov/catdir/samples/cam034/2002031201.pdf for the correct data.

The surface area of water in all the oceans is 361.3 million Sq.Km.
Please know that this does not include the water contained by lakes and rivers on the land.
The total surface area of all the lakes is 2.0587 million Sq. Km.
The total average surface area of all the rivers is 10.687 million Sq. Km.

Adding all these we get the total water area on the surface of the planet earth.
361.3+2.0587+10.687= 374.0457
Now the total area of the earth is 510.065 million Sq. Km.

The %age of water on the surface of earth is 374.0457 X 100/510.065 = 73.333%
And naturally the %age of land is 100-73.333 = 26.666%

Actually 29.2% of land area is inclusive of lakes and rivers. The actual land area is 26.67%