कभी कभी बीमारी दवा और दवा बीमारी बन जाया करती है - इमाम हज़रत अली (अ.)
दुनिया में बस इतना ही अपना समझो जिससे अपनी आख़िरत की मंज़िल संवार सको। अगर तुम हर उस चीज़ पर जो तुम्हारे हाथ से जाती रहे वावैला मचाते हो तो फिर हर उस चीज़ पर रंज व अफ़सोस करो कि जो तुम्हें नहीं मिली - इमाम हज़रत अली (अ.)(नहजुल बलाग़ा - खत 31 वसीयतनामा)
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