Wednesday, December 25, 2013

आदम इव बनाम डार्विन

हज़रते इंसान की पैदाइश को लेकर आमतौर पर दो तरह की मान्यताएं लोगों के बीच मौजूद हैं। पहली है डार्विन की इवोल्यूशन थ्योरी जबकि दूसरी आदम-इव से तमाम इंसानों की पैदाइश की थ्योरी। आमतौर पर वैज्ञानिकों व नास्तिकों के लिये इवोल्यूशन थ्योरी में आकर्षण दिखता है जबकि तमाम बड़े मज़हब यानि ईसाईयत व इस्लाम वगैरा आदम-इव से तमाम इंसानों की पैदाइश में यकीन करते हैं।  

इवोल्यूशन थ्योरी के मुताबिक इंसान व चिम्पैन्जी के पूर्वज एक ही थे और लगभग पाँच मिलियन साल पहले दोनों अलग अलग शाखाओं में बंट गये जिसमें से मनुष्य की शाखा यानि आस्ट्रेलोपिथिकन्स ने अपना आगे विकास किया जबकि यह अफ्रीका में पायी जाती थी।(1) फिर विकास करते हुए होमो इरेक्टस बने और तत्पश्चात होमो सेपियन्स अर्थात मनुष्य। यह माना जाता है कि होमो सेपियन्स का जन्म लगभग दो लाख साल पहले हुआ। और फिर उसके व्यवहार में वर्तमान के तरीके के बदलाव लगभग पचास वर्ष पहले आये।(2)
अर्थात यह माना जा सकता है कि मनुष्य अर्थात होमो सेपियन्स इस धरती पर दो लाख वर्ष पुराना है।

अब हम एक अनुमान लगाते हैं कि अगर मनुष्य की उम्र दो लाख साल मान ली जाये और उसने अपनी नस्ल को आगे बढ़ाया तो आज उस जनसंख्या को कितना होना चाहिए। अगर इंसान की एक पीढ़ी की औसत आयु सौ साल मानी जाये (हालांकि यह सौ साल से बहुत कम है।) तो अब तक धरती पर मनुष्य की 2000 पीढि़यां गुज़र चुकी हैं।

मौजूदा दौर में विश्व का औसत फैमिली साइज़ है 2.5,(3) यानि एक व्यस्क जोड़ा अगली पीढ़ी के लिये औसतन 1.25 बच्चे पैदा कर रहा है जबकि आज काफी लोग फैमिली प्लानिंग तकनीकों का प्रयोग कर रहे हैं।. भूतकाल में यह औसत ज्यादा था। फिर भी यदि हम यही औसत रखें तो 2000 पीढि़यों के बाद यानि वर्तमान में जनसँख्या होनी चाहिये 600000 .......(6 के आगे 193 जीरो लगाने पर यह संख्या मिलेगी।) 

बीच में महामारियों, युद्ध इत्यादि के कारण यह संख्या अगर कम भी कर दी जाये तो भी खरबों खरब के ऊपर पहुंचेगी। इतने लोगों को रहने के लिये हमारी ज़मीन जैसी अरबों अरब ज़मीनें भी कम पड़ जानी थीं।
दूसरी तरफ अगर ग़ौर करें आदम हव्वा की कहानी पर, तो जो डेटा नेट पर उपलब्ध है उसके अनुसार धरती पर अब तक एक सौ बीस (120) पीढि़यां गुज़र चुकी हैं। खुद मैंने अपनी वंशावली इण्टरनेट पर उपलब्ध स्रोतों के आधार पर बनायी है और मैंने देखा कि मैं हज़रत आदम की एक सौ बाइसवीं पीढ़ी का बाशिंदा हूं।

अगर एक पीढ़ी की औसत उम्र पुन: सौ साल मानी जाये तो 120 पीढि़यों के गुज़रने के लिये कुल बारह हज़ार वर्षों की ज़रूरत होती है। आदम हव्वा के किस्से को सच मानने के लिये हमें बाकी किस्सों को भी सच मानना होगा, जिनके मुताबिक पुराने ज़माने में लोगों की उम्र ज्यादा होती थी। मसलन हज़रत आदम(अ.) की उम्र हज़ार साल और हज़रत नूह(अ.) की उम्र नौ सौ पचास साल थी, जबकि हज़रत इब्राहीम(अ.) की उम्र एक सौ पचहत्तर साल। ऐसी हालत में कैलकुलेशन करने पर इंसान की तमाम पीढि़यों की उम्र लगभग बीस से पच्चीस हज़ार साल ठहरती है।

अब जहाँ तक प्राचीन इंसानी सभ्यताओं की बात है, कोई भी सभ्यता बारह हज़ार साल से ज्यादा पुरानी(4) अब तक नहीं मिली है। ज़ाहिर है कि इससे पहले इंसान इतनी ज्यादा तादाद में नहीं थे कि वे कोई बड़ी सभ्यता बना पाते। न ही वे खेती बाड़ी करते थे क्योंकि उनके लिये दरख्तों पर उगते फल काफी थे।

अगर मौजूदा दौर का औसत फैमिली साइज़ 2.5 हर वक्त के लिये माना जाये एक व्यस्क जोड़े के ज़रिये अगली पीढ़ी के लिये 1.25 बच्चे पैदा करने का औसत लिया जाये तो मौजूदा वक्त में दुनिया की आबादी ज्यादा से ज्यादा पाँच खरब होनी चाहिए। हक़ीक़त में इस वक्त दुनिया की आबादी सात अरब है। इसके पीछे ये वजह हो सकती है कि इतिहास में कई बार एक बड़ी आबादी बड़ी लड़ाइयों, महामारियों, प्राकृतिक आपदाओं वगैरा की भेंट चढ़ी। 

इन सब को नज़र में रखते हुए मौजूदा आबादी हज़रत आदम(अ.) की थ्योरी के ज़रिये कैलकुलेटेड आबादी से काफी हद तक मैच कर जाती है। जबकि डार्विन की थ्योरी के ज़रिये इसकी व्याख्या करना लगभग नामुमकिन है। क्योंकि उस थ्योरी से मौजूदा आबादी की जो तस्वीर दिखाई देती है हक़ीक़त उसके पूरी तरह बरअक्स है।

इस तरह आदम-इव की कहानी ही तथ्यों पर ज्यादा खरी सिद्ध होती है।

References :
1. Tattersall Ian, Schwartz Jeffrey (2009). "Evolution of the Genus Homo". Annual Review of Earth and Planetary Sciences 37: 67–92.
2. McHenry, H.M (2009). "Human Evolution". In Michael Ruse & Joseph Travis. Evolution: The First Four Billion Years. Cambridge, Massachusetts: The Belknap Press of Harvard University Press. p. 265. ISBN 978-0-674-03175-3.
3. http://kff.org/global-indicator/total-fertility-rate
4.  "Origin of agriculture and domestication of plants and animals linked to early Holocene climate amelioration", Anil K. Gupta*, Current Science, Vol. 87, No. 1, 10 July 2004 

2 comments:

hasnain rizvi said...

Good analysis. . I would like to point few calculations. I.e..1)-193 zeros after6...generations born but die as well.
2)-Gap of 2 bn is remarkable if consider..40% variance.
3)-kindly put light on how you calculated your shajra of 122nd genration?
request u pl resolve my queries with fact.

Regards
hasnain rizvi

zeashan haider zaidi said...

Thanks for the comments.
1. 193 zeros after6... is the figure calculated after counting deaths as well.
2. Pl clear your point.
3. My shajra after Imam Zainul Abideen (as) is available in my family. And I made a complete shajra from Hazrat Adam (as) to Prophet Muhammad (PBUH) after searching various Internet sites. So counted almost 120 generations.

regards.