Monday, November 25, 2013

सितारों के बारे में इस्लामी थ्योरी


यह जानना रोचक होगा कि आज से लगभग तेरह सौ साल पहले इस्लामी विद्वान सितारों के बारे में क्या नज़रिया रखते थे। यहाँ पर मैं उस समय के दो महान विद्वानों का वार्तालाप प्रस्तुत कर रहा हूं। इनमें से एक इमाम जाफर सादिक(अ.) थे जबकि दूसरे उनके शिष्य जाबिर इब्ने हय्यान थे। इमाम जाफर सादिक(अ.) उमय्यद सल्तनत के अंतिम व अब्बासी सल्तनत के प्रारम्भिक दौर में हुए हैं और उस दौर में इस्लाम के सर्वोच्च धर्माधिकारी थे। जबकि जाबिर इब्ने हय्यान उर्फ गेबर को दुनिया फादर आफ केमिस्ट्री के नाम से जानती है।
निम्न वार्तालाप फारसी किताब 'मग़ज़े मुतफ़क्किरे इस्लाम से लिया गया है जो कि उर्दू में 'सुपरमैन इन इस्लाम नाम से अनुदूदित हुई है।

जाबिर ने इमाम जाफर सादिक(अ.) से पूछा, ''ये रोशन सितारे, जो लगातार गति में हैं और उनमें से कुछ को हम तयशुदा दूरियों पर देखते हैं ये क्या हैं? और क्यों ये एक दिन के लिये भी नहीं रुकते? इमाम जाफर सादिक(अ.) ने फरमाया, ''आसमान का हर सितारा एक दुनिया है और उन सब सितारों के समूह से एक बड़ा जहान बनता है।
सितारों की लगातार गति इसलिए है कि ये शांत न हों और दुनिया का डिसिप्लिन खत्म न हो जाये। और ये गति वही गति है जिससे जिंदगी अस्तित्व में आती है। या ये कि स्वयं गति ही जिंदगी है। और जब गति रुक जाती है तो जिंदगी खत्म हो जाती है। लेकिन अल्लाह ने इस तरह सिस्टम बनाया है कि गति किसी वक्त भी नहीं रुकती यानि जिंदगी हमेशा रहती है। और जिंदगी का बाक़ी रहना भी प्राणियों के फायदे के लिये है।
जाबिर ने पूछा, 'स्पेस में सितारों की शक्ल कैसी है?" इमाम जाफर सादिक(अ.) ने जवाब दिया, ''आसमान के कई सितारे ठोस हैं और कई द्रव या गैस की हालत में हैं। और आसमानी सितारों का एक हिस्सा धूल (बुख़ारात) से अस्तित्व में आया है।

जाबिर इब्ने हय्यान ने आश्चर्य से पूछा, ''ये बात किस तरह कुबूल की जा सकती है कि आसमान के सितारे धूल से असितत्व में आये हैं? क्या ये बात संभव है कि धूल इतनी चमकीली हो जिस तरह रात को ये सितारे चमकते हुए नज़र आते हैं?" इमाम जाफर सादिक(अ.) ने फरमाया, ''सभी सितारे धूल से नहीं बनते। लेकिन वह सितारे जो धूल से बनते हैं, गर्म हैं और उनकी ज़यादा गर्मी उनकी चमक का कारण है, और मेरा ख्याल है कि सूरज भी धूल से बना है।"

जाबिर ने कहा, ''आपने फरमाया कि सितारों में से हर एक एक दुनिया है।" इमाम जाफर सादिक(अ.) ने सहमति व्यक्त की। जाबिर ने पूछा, ''क्या इंसान उन दुनियाओं में हमारी दुनिया की तरह मौजूद है?"
इमाम जाफर सादिक(अ.) ने फरमाया, ''इंसान के बारे में मैं तुम्हें कुछ नहीं कह सकता, कि वह इस दुनिया के अलावा दूसरे जहानों में भी मौजूद है या नहीं। लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि दूसरे ग्रहों में प्राणी मौजूद हैं और उन सितारों के दूर होने की वजह से हम वहाँ के प्राणियों को नहीं देख पाते।

जाबिर ने पूछा, ''आपके पास क्या तर्क है कि दूसरे ग्रहों में प्राणी मौजूद हैं?"
इमाम जाफर सादिक(अ.) ने फरमाया, ''अल्लाह ने फरमाया है कि उसने इंसानों के साथ जिन्नों को भी खल्क़ किया है। और जिन ऐसे प्राणी हैं जो देखे नहीं जा सकते। यानि हम उन्हें नहीं देख पाते, वरना अल्लाह से कोई चीज़ छुपी नहीं है। वह तमाम प्राणियों को देखता है। और जिन जो शायद दूसरे जहानों में रह रहे हैं, हम इंसानों की तरह हैं या हमसे बेहतर इंसानों की तरह हैं।"

जाबिर ने पूछा, ''हमसे बेहतर इंसानों से आपका क्या मतलब है?" इमाम जाफर सादिक(अ.) ने जवाब दिया, ''शायद वह ऐसे इंसान हैं जो हमारे जैसी दुनिया में जिंदगी गुज़ारने के बाद बेहतर दुनिया में शिफ्ट हो गये हैं। उसी तरह जैसे अगर हमने इस दुनिया में अच्छे काम किये तो मौत के बाद इस दुनिया से अच्छी दुनिया में शिफ्ट हो जायेंगे।"
जाबिर ने पूछा, ''इस तरह तो हम मौत के बाद जिंदा होने के बाद उन सितारों में से किसी एक में जिंदगी गुज़ारेंगे जिन्हें हम रातों को देखते हैं।"

इमाम जाफर सादिक(अ.) ने फरमाया, ''मैं तुम्हें नहीं बता सकता कि मौत की नींद से जागने होने के बाद हमारी जगह कहाँ होगी। शायद हमारी जगह इसी दुनिया में हो जिसमें हम रह रहे हैं। और खुदा के लिये कुछ मुश्किल  नहीं है कि वह इसी दुनिया में नेक बन्दों के लिये जन्नत और गुनाहगारों के लिये जहन्नुम अस्तित्व में ले आये। या ये कि इंसान के मौत से जागने के बाद उसे दूसरी दुनिया में जगह दे।

(इसके बाद बातचीत का रुख दूसरे विषयों की ओर मुड़ गया था।)

1 comment:

DR. ANWER JAMAL said...

यह जानना रोचक है कि आज से लगभग तेरह सौ साल पहले इस्लामी विद्वान सितारों के बारे में क्या नज़रिया रखते थे।
Nice post.