आम तौर पर लोगों का मानना है की इस्लाम रूढ़िवादी धर्म है और इसमें बहस और लोजिक की गुंजाइश नहीं. लेकिन ऐसा हरगिज़ नहीं. इस्लामी विद्वानों और दूसरे धर्म वालों (या नास्तिकों) के बीच अक्सर बहस होती रही है जिसमें ज्ञान के नए नए दरवाज़े खुले. यह वाकिया है बारह सौ साल पहले का, जब एक हिन्दुस्तानी चिकित्सक इमाम जाफर सादिक अलैहिस्सलाम से आकर मिला। वह इमाम को अपना ज्ञान देना चाहता था, लेकिन हुआ इसका उल्टा और वह खुद इमाम से ज्ञान हासिल करके वापस हुआ। पूरा लेख पढ़ें यहाँ.
16 comments:
This post contains answers of questions like : नाक के सुराख नीचे क्यों हैं? होंठ और मूंछें मुंह के ऊपर क्यों बनाई गयीं? सामने के दाँत तेज़ क्यों हैं? दाढ़ के दाँत चौड़े और साइड के लम्बे क्यों हैं? मर्दों के दाढ़ी क्यों निकलती है? नाखूनों और बालों में जान क्यों नहीं होती? इंसान का दिन सुनोबरी शक्ल में क्यों बनाया गया? फेफड़ों को दो टुकड़ों में क्यों बनाया गया? और उसकी हरकत अपनी जगह पर क्यों है?
Nice Post
Islaam Jahilon Ka Mazhab hai
@Anonymous
Lagta hai tujhe Islamophobia ho gaya hai.
Nice Post!
एक और अच्छी पोस्ट!
पूरी दुनिया को इल्म देने वाला इस्लाम ही है.
पूरी दुनिया को इल्म देने वाला इस्लाम ही है.
सार्थक बहस करने वालों का स्वागत है. अनोनिमस टाइप के लोग यहाँ न ही आयें तो बेहतर है.
Mashallah zeashaan bhai.
अहले बैत के मर्तबे की बुलंदी का सुबूत है उनका इल्म व इरफ़ान ।
अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिंव व अला ज़ुर्रीयातिहि ।
hame mitane se pahle y soch le zalim hamare dam se hai ranginiyan zmane ki
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