अगर आप इस लेख को आत्मा या रूह से सम्बंधित मान रहे हैं तो ऐसा हरगिज नहीं है। चूंकि मेरे सभी लेख साइंस से ही सम्बंधित हैं इसलिये मैं ऐसी कोई बात नहीं करूंगा जो साइंस के दायरे से बाहर हो। बल्कि मैं बात करने जा रहा हूं फिजिकल मौत की, जबकि इंसान में कोई हरकत बाकी नहीं रह जाती। इंसान को मौत कब आती है इस बारे में साइंस आज भी पूरी तरह इल्म नहीं रखती। यहाँ तक कि मौत की परिभाषा भी साइंस के अनुसार अधूरी है। साइंस के अनुसार मौत की परिभाषा ये है कि मौत किसी जिंदा चीज़ में जैविक प्रक्रियाओं के रुकने का नाम है। लेकिन यह देखा गया है कि जिस्म में कुछ जैविक प्रक्रियाएं मौत के बाद भी होती रहती हैं। जैसे कि बाल और नाखून का बढ़ना।
आईए देखते हैं कि इस्लाम इस बारे में क्या कहता है। पढ़ें यह लेख.
9 comments:
इमाम हज़रत अली बिन हुसैन अलैहिस्सलाम ने फरमाया कि कोई मखलूक उस वक्त तक नहीं मरती जब तक कि उसमें से वह नुत्फा न निकल जाये जिससे अल्लाह तआला ने उसको पैदा किया है ख्वाह वह मुंह की तरफ से ख्वाह किसी और जगह से।
चूंकि प्रिमिटिव स्ट्रीक में उस व्यक्ति के जिस्म का पूरा नक्शा स्टोर रहता है। और अगर यह नक्शा वैज्ञानिक ढूंढने में कामयाब हो जायें तो उस इंसान के जिस्म को फिर से पैदा कर सकते हैं।
Waah, kya science hai??
Waah, kya science hai??
यह तो कोई भी बता सकता है की सामने वाला जिंदा है या मर गया.
अच्छी जानकारी दी आपने.
@अनोनिमस
अगर कोई भी बता सकता है की सामने वाला जिंदा है या मर गया, फिर आप डॉक्टर से डेथ वेरिफिकेशन क्यों करवाते हैं?
त्वं बलस्य गोमतोSपावरद्रिवो बिलम् |
त्वां देवा अबिभ्युषस्तुज्यमानास आविषुः ||5||
ऋग्वेद 1|11|5||
हे वज्रधारी इन्द्रदेवङ आपने गौओं (सूर्य-किरणों) को चुराने वाले असुरों के व्यूह को नष्ट किया, तब असुरों से पराजित हुए देवगण आपके साथ आकर संगठित हुए 1-11-5
http://www.vedpuran.com/brahma.asp?bookid=24&secid=1&pageno=0001&Ved=Y
आर्य समाजी भाई लिखते हैं
वेदो में विज्ञान व शिल्पविद्या के रहस्य (26)
त्वं बलस्य गोमतोSपावरद्रिवो बिलम् |
त्वां देवा अबिभ्युषस्तुज्यमानास आविषुः ||5||
ऋग्वेद 1|11|5||
भाषार्थ -
जैसे सूर्य्यलोक अपनी किरणों से मेघ के कठिन बद्दलों को छिन्न भिन्न करके भूमि पर गिराता हुआ जल की वर्षा करता है, क्योंकि यह मेघ उसकी किरणों में ही स्थिर रहता, तथा इसके चारों ओर आकर्षण अर्थात् खींचने के गुणों से पृथिवी आदि लोक अपनी अपनी कक्षा में उत्तम उत्तम नियम से घूमते हैं, इसी से समय के विभाग जो उत्तरायण, दक्षिणायन तथा ऋतु, मास, पक्ष, दिन, घड़ी, पल आदि हो जाते हैं, वैसे ही गुणवाला सेनापति होना उचित है ||5||
http://www.aryasamaj.org/newsite/node/1347
आपने सही कहा है 'इमाम हज़रत अली बिन हुसैन अलैहिस्सलाम ने फरमाया कि कोई मखलूक उस वक्त तक नहीं मरती जब तक कि उसमें से वह नुत्फा न निकल जाये जिससे अल्लाह तआला ने उसको पैदा किया है ख्वाह वह मुंह की तरफ से ख्वाह किसी और जगह से।
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